manjil
मंज़िल
April 6, 2017
क्या लिखूं???
April 10, 2017

पापा

उदासी का अर्थ भी ना जाना था कभी,
आज दिल दुखने से आँखो से पानी का गिरना समझ आया…
कमी से पहले ही जरूरते पूर होती गयी,
आज चीज़े पाकर भी क़र्ज़ का अर्थ समझ आया…

हर संभव खुशी थी दामन मे,
पर मेहनत की कमाई का आज मोल समझ आया…
चलना भी ना आता था और दौड़ने की चाहत थी,
मेरी तमन्नाओ के लिए उनका थमना समझ आया…

पापा की डाँट में गुस्सा नहीं प्यार था,
क्यूंकी आज मीठे लवजो के पीछे का राज़ समझ आया…
मुश्किले तो उनकी राह में भी होंगी,
पर अपने गम भुलाकर उनका हसना समझ आया…

आज यूही चलते चलते जब थम गयी एक पल,
तो उनका हर वक़्त चलते रहना समझ आया…
पापा के राज़ मे गुड़िया बनी रही मै,
आज दूर होकर दूरी का अर्थ समझ आया…

जब ज़िंदगी ने पहचान कराई हक़ीकत से,
पापा का मोल अनमोल है ये समझ आया…

6 Comments

  1. Avatar Tushar Rathore says:

    superb art ….. keep it up waiting for next ..

  2. Avatar ankit says:

    a nice way of expressing what’s inside.
    keep it up mate.

  3. Avatar Yogesh says:

    So nice

    Keep writing
    Waiting for next….

  4. Avatar Anita gurjar says:

    Nice one dear

  5. Avatar Ankit says:

    Heart touching lines, can’t wait for next one 😊

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