उदासी का अर्थ भी ना जाना था कभी,
आज दिल दुखने से आँखो से पानी का गिरना समझ आया…
कमी से पहले ही जरूरते पूर होती गयी,
आज चीज़े पाकर भी क़र्ज़ का अर्थ समझ आया…
हर संभव खुशी थी दामन मे,
पर मेहनत की कमाई का आज मोल समझ आया…
चलना भी ना आता था और दौड़ने की चाहत थी,
मेरी तमन्नाओ के लिए उनका थमना समझ आया…
पापा की डाँट में गुस्सा नहीं प्यार था,
क्यूंकी आज मीठे लवजो के पीछे का राज़ समझ आया…
मुश्किले तो उनकी राह में भी होंगी,
पर अपने गम भुलाकर उनका हसना समझ आया…
आज यूही चलते चलते जब थम गयी एक पल,
तो उनका हर वक़्त चलते रहना समझ आया…
पापा के राज़ मे गुड़िया बनी रही मै,
आज दूर होकर दूरी का अर्थ समझ आया…
जब ज़िंदगी ने पहचान कराई हक़ीकत से,
पापा का मोल अनमोल है ये समझ आया…
6 Comments
superb art ….. keep it up waiting for next ..
thanks… new will update soon
a nice way of expressing what’s inside.
keep it up mate.
So nice
Keep writing
Waiting for next….
Nice one dear
Heart touching lines, can’t wait for next one 😊