सदिया गुजार दी हमने जिसके इंतजार में
वो आके पूछते हैं क्यू बेठे हो बेकार में |
वक्त आया लोगो ने असलियत दिखा दी
एक हम ही थे जो डूबे रह गये किरदार में |
अब की बार मौसम आये नही फूलो वाले
शायद क्युकि उन्होंने कहा था वो आयेंगे बहार में |
इस से पहले की हम कुछ समझ पाते
आधी जिंदगी गुजर गयी जाने किस रफ़्तार में |
कोन कहता हैं खुशिया बिकती नही
हमने कल ही खरीदी , एक बोतल बाज़ार में |