कहानियाँ तुम्हारी आज भी याद है मुझे
बाते करते हुए साथ टहलने की आज भी आदत है मुझे…
अम्मा आज भी यादो में मेरी तुम जिंदा हो
हर सुबह हर शाम में मेरी तुम आज भी जिंदा हो…
बड़ों से बाते करना सिखाना आज भी याद है मुझे
माँ बाप की डाँट से बचा, तुम्हारा लाड लड़ाना आज भी याद है मुझे…
बचपन की हर याद में मेरी तुम आज भी जिंदा हो
हमारे मकान को घर बनाने की राहो मे मेरी तुम आज भी जिंदा हो…
तीज पर चूड़ीयाँ पहनाना तुम्हारा आज भी याद है मुझे
शिवरात्रि पर अपने हाथो से बेर खिलाना आज भी याद है मुझे…
दर्द को मुस्कान में बदलने के तरीक़ो में तुम आज भी जिंदा हो
तुम हमारे हर त्योहारो की रस्मो में आज भी जिंदा हो…
एक दिन अचानक तुमने आँखे बंद कर ली
पर जिंदगी में मेरी तुम आज भी जिंदा हो…
7 Comments
Nice one
Great poem
Nice…
Nice gud…
Veryyy nice
Bhaut acche…ati sundar
Nice