कुछ बदली से मैं हूँ, कुछ बदला सा तू भी है, पर रिश्ता तो अपना आज भी उतना ही गहरा है। सलवटे पड़ी थी कुछ वक़्त की करवटों से, पर इन्ही सलवटों से ही तो हमने सीखे रिश्ते के मायने अनोखे है।
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